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भारत के बाहर 7 स्थान जहाँ जन्माष्टमी राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाई जाती है
जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिवस, हिंदू धर्म के सबसे पवित्र और उल्लासपूर्ण त्योहारों में से एक है। भारत में तो यह पर्व बड़े ही धूमधाम और भक्ति भाव से मनाया जाता है, लेकिन इसकी गूंज अब दुनिया के कई हिस्सों में भी सुनाई देती है। प्रवासी भारतीय समुदायों और वैश्विक सांस्कृतिक मेल से यह त्योहार अब कई देशों में राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है। आइए जानते हैं ऐसे 7 देशों के बारे में जहाँ जन्माष्टमी को बड़े उत्साह से मनाया जाता है।
1. नेपाल
नेपाल, जो कि हिंदू बहुल देश है, वहाँ जन्माष्टमी को राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है। पाटन का कृष्ण मंदिर और अन्य प्रमुख मंदिरों में श्रद्धालु उपवास रखते हैं, भजन गाते हैं और भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का मंचन करते हैं। यह नेपाल में एक सार्वजनिक अवकाश होता है।
2. फिजी
फिजी में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग रहते हैं, और यहाँ जन्माष्टमी को एक राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है। सप्ताह भर चलने वाले इस पर्व में भजन, रामायण पाठ और कृष्ण लीला के मंचन होते हैं।
3. मॉरीशस
मॉरीशस में जन्माष्टमी एक राष्ट्रीय त्योहार के रूप में मनाई जाती है। मंदिरों को सजाया जाता है, भक्त व्रत रखते हैं और भजन संध्या का आयोजन होता है। यहाँ हर धर्म के लोग इस पर्व में भाग लेते हैं, जो देश की सांस्कृतिक एकता को दर्शाता है।
4. बांग्लादेश
बांग्लादेश, भले ही मुस्लिम बहुल देश है, लेकिन वहाँ जन्माष्टमी को सार्वजनिक अवकाश के रूप में मान्यता प्राप्त है। ढाका के ढाकेश्वरी मंदिर सहित अन्य स्थानों पर भव्य शोभायात्राएँ और धार्मिक कार्यक्रम होते हैं।
5. त्रिनिदाद और टोबैगो
कैरेबियन देश त्रिनिदाद और टोबैगो में हिंदू समुदाय की संख्या अधिक है, और यहाँ जन्माष्टमी को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है। उपवास, भजन कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से यह त्योहार मनाया जाता है।
6. गयाना
दक्षिण अमेरिका का यह देश, जिसमें बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग रहते हैं, यहाँ जन्माष्टमी को बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। मंदिरों में पूजा-पाठ, कीर्तन और कृष्ण कथा का आयोजन होता है।
7. इंडोनेशिया (बाली)
इंडोनेशिया भले ही मुस्लिम बहुल देश है, लेकिन बाली द्वीप पर हिंदू संस्कृति गहराई से रची-बसी है। यहाँ के मंदिरों में जन्माष्टमी पर विशेष पूजा, पारंपरिक नृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
निष्कर्ष
जन्माष्टमी अब केवल भारत तक सीमित नहीं रही — यह एक वैश्विक पर्व बन चुका है जो प्रेम, भक्ति और अध्यात्म का प्रतीक है। ये सात देश इस बात का प्रमाण हैं कि भगवान श्रीकृष्ण की लीला और शिक्षाएँ सीमाओं से परे हैं और उन्हें पूरे विश्व में श्रद्धा और उल्लास से मनाया जाता है।