Reduce Your ₹15 Lakh Salary Tax to ZERO in 2025

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₹15 लाख सैलरी पर शून्य आयकर (Income Tax) कैसे दें – वित्त वर्ष 2025–26

📊 नए आयकर स्लैब (FY 2025–26) को समझना
वित्त वर्ष 2025–26 में नया आयकर व्यवस्था मध्यम और उच्च-मध्यम वर्गीय आय अर्जकों पर बोझ कम करने के लिए संशोधित स्लैब लेकर आई है।

  • ₹4 लाख तक की आय पूरी तरह कर-मुक्त है

  • इसके ऊपर की आय पर प्रगतिशील (slab-wise) कर लगता है, अधिकतम 30% टैक्स ₹24 लाख से ऊपर की आय पर

👉 ₹15 लाख सैलरी पर शून्य टैक्स का राज़ है—स्मार्ट डिडक्शन और नियोक्ता-सम्बंधित (employer-linked) छूटों का सही उपयोग


💼 स्टैंडर्ड डिडक्शन का दावा करें
सैलरी पाने वाले प्रोफेशनल्स नए टैक्स रिजीम में ₹75,000 का स्टैंडर्ड डिडक्शन ले सकते हैं।

₹15,00,000 – ₹75,000 = ₹14.25 लाख (कर योग्य आय)

यह सीधा लाभ है, किसी अतिरिक्त कागज़ी कार्रवाई की ज़रूरत नहीं।


🏦 नियोक्ता द्वारा NPS में योगदान
नियोक्ता द्वारा राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) में किया गया योगदान (बेसिक सैलरी का अधिकतम 14%) पूरी तरह कटौती योग्य है।

यदि बेसिक सैलरी = ₹7.5 लाख (कुल सैलरी का 50%) → योगदान = ₹1.05 लाख

नई कर योग्य आय = ₹13.20 लाख

💰 EPF योगदान से कर बचत
नियोक्ता द्वारा कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में किया गया योगदान (बेसिक सैलरी का 12%) भी कटौती योग्य है।

₹7.5 लाख बेसिक पर → योगदान = ₹90,000

नई कर योग्य आय = ₹12.30 लाख

📈 छोटी बचत योजनाओं से अतिरिक्त लाभ
पीपीएफ (PPF) या सुकन्या समृद्धि योजना जैसी योजनाओं में निवेश से दीर्घकालीन लाभ और टैक्स बचत दोनों मिलते हैं।

उदाहरण:
₹1.5 लाख पीपीएफ + ₹1 लाख सुकन्या समृद्धि → लगभग ₹17,500 की टैक्स बचत

नई कर योग्य आय = ₹12.12 लाख

🚗 ऑफिशियल खर्चों के लिए भत्ते (Allowances) का उपयोग
सैलरी को ऐसे भत्तों में स्ट्रक्चर किया जा सकता है जिन्हें बिल दिखाकर टैक्स-फ्री क्लेम किया जा सकता है।

  • एंटरटेनमेंट अलाउंस → ₹40,000

  • ट्रांसपोर्ट अलाउंस → ₹60,000

  • फ्यूल रीइम्बर्समेंट → ₹25,000

  • मोबाइल बिल → ₹10,000

  • यूनिफॉर्म खर्च → ₹15,000

👉 कुल = ₹1.5 लाख छूट

नई कर योग्य आय = ₹10.62 लाख

🏅 शून्य आयकर देनदारी प्राप्त करना
सभी उपलब्ध डिडक्शन और छूटों का रणनीतिक रूप से उपयोग करके:

कर योग्य आय = ₹10.62 लाख

👉 यह आय नए टैक्स रिजीम में ₹12 लाख की शून्य-टैक्स सीमा से कम हो जाती है।

✅ अंतिम आयकर देनदारी = ZERO


पहले से टैक्स प्लानिंग क्यों ज़रूरी है?
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि टैक्स प्लानिंग आखिरी समय पर नहीं करनी चाहिए। समय रहते शुरुआत करने से आप:

  • अधिकतम डिडक्शन का लाभ ले सकते हैं

  • नियोक्ता योगदान का अनुकूलन कर सकते हैं

  • आयकर अधिनियम के तहत सभी लाभ पूरी तरह उपयोग कर सकते हैं

👉 समय पर टैक्स प्लानिंग करके, ₹15 लाख की सैलरी पर भी कानूनी तौर पर शून्य आयकर दिया जा सकता है। 

Rekha Negi

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