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US Visa: भारतीयों के लिए महंगा हुआ अमेरिका का वीज़ा, ट्रंप प्रशासन ने लागू की नई इंटीग्रिटी फीस
नई दिल्ली. भारतीयों के लिए अमेरिका की यात्रा अब और महंगी होने जा रही है। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने 1 अक्टूबर से नई US Visa इंटीग्रिटी फीस लगाने का ऐलान किया है। यह शुल्क 250 डॉलर (करीब ₹22,000) होगा। इसके साथ ही US Visa लेने की कुल लागत बढ़कर लगभग 442 डॉलर (करीब ₹40,000) तक पहुंच जाएगी। यह फैसला सीधे तौर पर अमेरिका जाने वाले भारतीय यात्रियों को प्रभावित करेगा। पहले से ही US Visa प्रक्रिया महंगी और समय लेने वाली हो चुकी है, और अब इस अतिरिक्त शुल्क के कारण आम भारतीय परिवारों के लिए वहां जाना और भी कठिन हो जाएगा।
भारत से अमेरिका यात्रा पर असर
यूएस ट्रैवल एसोसिएशन के अनुसार, US Visa फीस में बढ़ोतरी से भारत से अमेरिका जाने वाले यात्रियों की संख्या और घट सकती है। अब तक इसमें 2.5% की गिरावट दर्ज की जा चुकी है। इसके अलावा, इस साल भारतीय छात्रों की संख्या में भी 18% की कमी आई है, जो अमेरिकी कॉलेजों के लिए चिंता का विषय है।
अमेरिकी विश्वविद्यालयों में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की कमी
अमेरिकी विश्वविद्यालय लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर निर्भर रहे हैं, न केवल सांस्कृतिक विविधता के लिए बल्कि आर्थिक स्थिरता के लिए भी। लेकिन ट्रंप प्रशासन की कड़ी इमिग्रेशन नीतियों और सख्त नियमों ने स्थिति को और खराब कर दिया है। अब नई US Visa इंटीग्रिटी फीस से हालात और गंभीर हो सकते हैं, जिससे भारतीय छात्रों का अमेरिका जाने का सपना और मुश्किल होगा।
US Visa बॉन्ड बनेगा नया बोझ
इतना ही नहीं, ट्रंप प्रशासन वीज़ा अवधि से ज्यादा रुकने वालों को रोकने के लिए 15,000 डॉलर (करीब ₹12.5 लाख) का US Visa बॉन्ड लागू करने की दिशा में भी कदम बढ़ा रहा है। यह बॉन्ड स्टूडेंट वीज़ा, सांस्कृतिक एक्सचेंज विजिटर्स और मीडिया प्रोफेशनल्स पर लागू हो सकता है। टूरिस्ट और बिज़नेस US Visa लेने वालों पर भी इसे लागू किया जा सकता है। इस बॉन्ड का पायलट प्रोजेक्ट 20 अगस्त से शुरू हो चुका है। इसका उद्देश्य है कि लोग अमेरिका में वीज़ा अवधि से अधिक समय तक न ठहरें।
भारतीय यात्रियों के लिए दोहरी मुश्किल
भारतीयों के लिए नया शुल्क और संभावित बॉन्ड दोनों ही बड़ी चुनौती बन सकते हैं। जहां एक ओर US Visa की लागत करीब ₹40,000 तक पहुंच जाएगी, वहीं अगर बॉन्ड लागू होता है तो यात्रियों को लाखों रुपये अग्रिम जमा कराने पड़ सकते हैं। इससे न केवल आम पर्यटक और बिज़नेस ट्रैवलर्स प्रभावित होंगे, बल्कि उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका का रुख करने वाले भारतीय छात्रों के सपनों को भी बड़ा झटका लगेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम केवल भारतीयों को ही नहीं बल्कि पूरी अमेरिकी ट्रैवल इंडस्ट्री को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा। विदेशी यात्रियों की संख्या घटने से होटल, एयरलाइंस और पर्यटन उद्योग को भारी नुकसान हो सकता है।