"भारत से पंगा महंगा पड़ा — अब सिर्फ सरकार और सेना नहीं, पाकिस्तान की आम जनता भुगतेगी नतीजा



 "आईएमएफ ने पाकिस्तान को कर्ज देने के लिए 50 शर्तें रखी हैं, जिनमें 11 नई शर्तें भी शामिल हैं — जैसे बिजली दरों में बढ़ोतरी, रक्षा बजट में कटौती और कृषि कर कानून लागू करना।"

हाइलाइट्स
  • आईएमएफ ने पाकिस्तान को कर्ज देने के लिए 50 शर्तें लगाई हैं.
  • बिजली दरें बढ़ाना और रक्षा बजट कम करना शामिल है.
  • कृषि कर कानून लागू करने की शर्तें भी शामिल हैं.

नई दिल्ली: पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति किसी से छुपी नहीं है। खबरों के मुताबिक, वहां खाने-पीने की सामान्य चीजों के लिए भी भारी किल्लत है। हालात ऐसे हैं कि पाकिस्तान बार-बार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के सामने हाथ फैलाकर कर्ज की गुहार लगाता रहा है। इसी महीने उसे IMF से एक बड़ा कर्ज पैकेज मिला है, लेकिन इस राहत के साथ ही ऐसी शर्तें भी आई हैं, जो आम पाकिस्तानियों की रातों की नींद उड़ा सकती हैं।

IMF ने बेलआउट कार्यक्रम की अगली किस्त जारी करने से पहले अब तक की सबसे सख्त शर्तें रखी हैं। कुल 50 शर्तों में से 11 शर्तें नई हैं, जिन्हें पूरा किए बिना अगली किश्त जारी नहीं की जाएगी। इन शर्तों में बिजली दरों में बढ़ोतरी, रक्षा बजट में कटौती और कृषि कर लागू करना जैसी कड़वी शर्तें शामिल हैं।

IMF ने यह भी चेतावनी दी है कि भारत के साथ हाल ही में बढ़े तनाव अगर और गहराते हैं, तो इससे बेलआउट योजना के वित्तीय और संरचनात्मक सुधार लक्ष्यों को हासिल करना बेहद मुश्किल हो सकता है।

बढ़ेगा बिजली का बिल

इन नई शर्तों में सबसे अहम है 17.6 लाख करोड़ रुपये के अगले बजट की संसदीय मंजूरी. इसके अलावा बिजली उपभोक्ताओं पर लगने वाले कर्ज सेवा अधिभार में बढ़ोतरी करनी होगी और तीन साल से पुरानी कारों के आयात पर लगी तत्काल रोक को दूर करना होगा. “कर्ज सेवा अधिभार” (debt‑service surcharge) का मतलब है एक अतिरिक्त शुल्क जो सरकार या बिजली कंपनी अपने ग्राहकों से वसूलती है, ताकि वह अपने लिए लिया गया कर्ज (loan) चुका सके. सरकार को अगले वित्तीय वर्ष के रक्षा बजट को कम से कम 2.414 ट्रिलियन रुपये पर ही रखना है, जबकि संसद ने अब तक इसे 2.5 ट्रिलियन रुपये से अधिक रखने का संकेत दिया था.

केंद्र और प्रांत दोनों स्तरों पर कर सुधार की नई शर्तें भी जोड़ी गई हैं. चार प्रांतीय सरकारों को एक व्यापक योजना बनाकर नए कृषि कर कानून लागू करने होंगे, जिसमें करदाताओं की पहचान, पंजीकरण और रिटर्न प्रोसेसिंग के लिए ऑपरेशनल मंच शामिल है. ये शर्तें जून तक पूरी करनी होंगी. साथ ही, सरकार को IMF द्वारा सुझाए गए सुधारों के आधार पर एक गवर्नेंस एक्शन प्लान भी प्रकाशित करना होगा, ताकि कमजोर प्रशासनिक कमजोरियों को दूर किया जा सके.

एनर्जी सेक्टर के लिए शर्तें

एनर्जी सेक्टर के लिए चार शर्तें हैं: हर वर्ष बिजली दरों को लागत-आधारित नए अनुमानों के अनुसार तय करने के आदेश जारी करना, गैस शुल्क को भी अर्ध-वार्षिक आधार पर संशोधित करना, सिल सशक्त उद्योगों को राष्ट्रीय ग्रिड से जोड़ने के लिए कैप्टिव पावर लेवी को स्थायी कानून बनाना और बिजली सेवा अधिभार पर 3.21 रुपये प्रति यूनिट की सीमा खत्म करना. इन शर्तों के तहत सरकार को ईमानदार उपभोक्ताओं को सजा देने वाली नीतियों को सुधारना होगा.

इसके अलावा, पाकिस्तान को 2035 तक विशेष प्रौद्योगिकी क्षेत्रों और औद्योगिक पार्कों को मिलने वाले सभी प्रोत्साहनों की समीक्षा कर समाप्ति की रूपरेखा तैयार करनी होगी. उपभोक्ताओं के हित में एक और शर्त लगाई गई है कि तीन साल से अधिक पुरानी कारों के वाणिज्यिक आयात पर लगी सीमा पूरी तरह हटाने के लिए संसद में आवश्यक कानून पेश किए जाएं. यह काम जुलाई के अंत तक पूरा होना चाहिए.

क्यों लगी हैं शर्तें

इन शर्तों का मकसद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को स्थिर करना है. IMF ने साफ कहा है कि यदि ये शर्तें पूरी नहीं हुईं, तो बेलआउट की अगली किश्त मिलना मुश्किल हो जाएगा और देश की आर्थिक चुनौतियाँ और बढ़ जाएँगी. इस सबके बीच भारत-पाक तनाव इस पूरी प्रक्रिया को और जटिल बना सकता है.

Rekha Negi

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